सातवां वेतन आयोग : नए भत्तों के लागू करने में देरी के लिए केन्द्र सरकार
जिम्मेवार — कर्मचारी संगठन
जिम्मेवार — कर्मचारी संगठन
केन्द्रीय कर्मचारी यूनियन के एक केन्द्रीय स्तर के प्रतिनिधि ने शुक्रवार को
कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार उच्च दर पर भत्तों को लागू
करने में केन्द्र सरकार ने सोची—समझी रणनीति के तहत् जानबूझ कर विलम्ब किया
है, अत: केन्द्रीय कर्मचारियों को भत्तों के एरियर की मांग बिल्कुल जायज है
एवं यह उनका अधिकार है।
कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार उच्च दर पर भत्तों को लागू
करने में केन्द्र सरकार ने सोची—समझी रणनीति के तहत् जानबूझ कर विलम्ब किया
है, अत: केन्द्रीय कर्मचारियों को भत्तों के एरियर की मांग बिल्कुल जायज है
एवं यह उनका अधिकार है।
उक्त प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि “सरकार ने भत्तों को लागू करने में विलम्ब
किया है एवं कर्मचारियों के आर्थिक स्थिति को समझने में असफल रही है।”
किया है एवं कर्मचारियों के आर्थिक स्थिति को समझने में असफल रही है।”
इससे पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली ने यह दावा किया था कि “सरकार नये मूल
वेतन के लागू होने के चार माह बाद सातवें वेतन आयोग के अनुसार भत्तों को अवश्य
लागू करेगी, परन्तु सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह असफल रही।”
वेतन के लागू होने के चार माह बाद सातवें वेतन आयोग के अनुसार भत्तों को अवश्य
लागू करेगी, परन्तु सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह असफल रही।”
सातवें वेतन आयोग को अपनी सिफारिशों को सरकार को सौंपे हुए 18 — 19 माह से
ज्यादा हो गए एवं केन्द्रीय कैबिनेट को इसे अनुमोदित किए भी 12 माह बीत गए
लेकिन कैबिनेट ने इस वर्ष 28 जून को 7वें वेतन आयोग के भत्तों को लागू करने
हेतु अपनी स्वीकृति दी, जिसे इसी वर्ष माह जुलाई 2017 के वेतन बिल से भु्गतान
किया गया।
ज्यादा हो गए एवं केन्द्रीय कैबिनेट को इसे अनुमोदित किए भी 12 माह बीत गए
लेकिन कैबिनेट ने इस वर्ष 28 जून को 7वें वेतन आयोग के भत्तों को लागू करने
हेतु अपनी स्वीकृति दी, जिसे इसी वर्ष माह जुलाई 2017 के वेतन बिल से भु्गतान
किया गया।
केन्द्र सरकार ने 7वें वेतन आयोग के सिफारिशों के अनुसार अपने कर्मचारियों को
अगस्त 2016 में नये मूल वेतन के लाभ के साथ दिनांक 1 जनवरी 2016 से एरियर का
भुगतान कर दिया परन्तु महंगाई भत्ता को छोड़कर बाकी सभी भत्तों को लागू करने
हेतु वित्त सचिव, श्री अशोक लवासा के नेतृत्व में गठित एक कमिटि रेफर कर दिया
क्योंकि वेतन आयोग ने पुराने 196 भत्तों में से 51 भत्तों को खत्म करने एवं 37
भत्तों को दूसरे भत्तों के साथ मिला देने की सिफारिश की थी।
अगस्त 2016 में नये मूल वेतन के लाभ के साथ दिनांक 1 जनवरी 2016 से एरियर का
भुगतान कर दिया परन्तु महंगाई भत्ता को छोड़कर बाकी सभी भत्तों को लागू करने
हेतु वित्त सचिव, श्री अशोक लवासा के नेतृत्व में गठित एक कमिटि रेफर कर दिया
क्योंकि वेतन आयोग ने पुराने 196 भत्तों में से 51 भत्तों को खत्म करने एवं 37
भत्तों को दूसरे भत्तों के साथ मिला देने की सिफारिश की थी।
केन्द्रीय वित्त मंत्री के बुलावे पर वित्त सचिव अशोक लवासा ने अक्टूबर 2016
में यह बयान दिया कि “कमिटि अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुकि है एवं रिपोर्ट
प्रस्तुत करने को तैयार है।” परन्तु केन्द्र सरकार ने नोटबन्दी एवं देश में
कैश की कमी के कारण बता कर उक्त कमिटि को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए
दो अतिरिक्त माह की बढ़ोत्तरी देकर 22 फरवरी 2017 तक का समय दे दिया।
में यह बयान दिया कि “कमिटि अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुकि है एवं रिपोर्ट
प्रस्तुत करने को तैयार है।” परन्तु केन्द्र सरकार ने नोटबन्दी एवं देश में
कैश की कमी के कारण बता कर उक्त कमिटि को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए
दो अतिरिक्त माह की बढ़ोत्तरी देकर 22 फरवरी 2017 तक का समय दे दिया।
इस बीच पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा होने के कारण आचार संहिता लागू होने
से सरकार को भत्तों पर निर्णय 8 मार्च 2017 तक टालने का एक और बहाना मिल गया।
से सरकार को भत्तों पर निर्णय 8 मार्च 2017 तक टालने का एक और बहाना मिल गया।
सरकार दरअसल पैसे बचाने के उद्देश्य से उच्च दर पर भत्तों को लागू करने में
टाल—मटोल कर रही थी।
टाल—मटोल कर रही थी।
भत्तों के लागू होने में देरी से सरकार ने करीब 40,000 करोड़ रूपये की बचत की
है।
है।
सरकार ने सिर्फ वित्तीय लाभ के लिए ही भत्तों को लागू करने में जानबूझ कर
विलम्ब किया है चुंकि सरकार इस बात को बखूबी जानती है कि उसकी वित्तीय स्थिति
बहुत ही नाजुक हालत में है।
विलम्ब किया है चुंकि सरकार इस बात को बखूबी जानती है कि उसकी वित्तीय स्थिति
बहुत ही नाजुक हालत में है।
सातवें आयोग के भत्तों को लागू करने में विलम्ब के कारण केन्द्रीय कर्मचारियों
में पहले से ही निराशा का भाव भरा हुआ था उस पर सरकार द्वारा अगस्त 2016 से
भत्तों के एरियर नहीं देने की घोषणा से कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
में पहले से ही निराशा का भाव भरा हुआ था उस पर सरकार द्वारा अगस्त 2016 से
भत्तों के एरियर नहीं देने की घोषणा से कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
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