7 वें वेतन आयोग: न्यूनतम वेतन एवं फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि पर विचार हेतु नए साल में
सरकार कर सकती है एक हाई लेवल कमिटि गठित — मिडिया रिपोर्ट।
केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों एवं पेन्शनधारियों के लिए वर्ष 2016 में ही 7वीं वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था, परन्तु दो वर्ष के उपरान्त 2018 में भी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों से अलग न्यूनतम वेतन में वृद्धि एवं फिटमेंट फार्मूले से सम्बन्धित मामला अनसुलझा है। इंडिया डॉट कॉम ने एक लेख में वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली अभी भी केन्द्रीय कर्मियों के लिए 7सी.पी.सी की सिफारिशों से अलग न्यूनतम वेतन में वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं। वित्त मंत्री अभी भी 7वीं वेतन आयोग में न्यूनतम एवं अधिकतम वेतन के रेशियो को वर्तमान 1:14 के स्थान पर 1:12 करने के इच्छुक हैं। परन्तु यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसा होगा तो ‘कब’?
7वां वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन में बीते 70 सालों में सबसे कम 14.27 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए तत्कालीन मूल वेतन 7000 से बढ़ाकर 18000 प्रतिमाह करने की सिफारिश की थी। केन्द्र सरकार ने 2016 में ही वेतन आयोग के इस सिफारिश को मंजूरी देते हुए मूल वेतन में वृद्धि को लागू कर दिया था जबकि नये अलाउन्सेज़ को एक वर्ष बाद जुलाई 2017 से लागू किया गया।
केन्द्रीय कर्मचारी लगातार फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 3.68 गुणा करते हुए न्यूनतम मूल वेतन को वर्तमान 18000 से बढ़ाकर 26000 प्रतिमाह करने की मांग करते आ रहे हैं।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कैबिनेट की मंजूरी मिलने के अगले ही दिन दिनांक 30 जून 2016 को वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने न्यूनतम वेतन एवं फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि के मामले पर विचार करने हेतु एक हाई—लेवल कमिटि बनाने का वादा किया था। केन्द्र सरकार ने हाई लेवल कमिटि के स्थान पर सितम्बर 2016 में राष्ट्रीय विसंगति कमिटि National Anomaly Committee (NAC) का गठन कर दिया। हालांकि राष्ट्रीय विसंगति कमिटि द्वारा वेतन वृद्धि के मामले पर किसी प्रकार की राहत देने की सम्भावना कम ही है।
इस बीच कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के सचिव ने सचिव, स्टाफ साइड श्री शिवगोपाल मिश्रा को यह उल्लेख करते हुए एक पत्र लिखा कि न्यूनतम वेतन में वृद्धि के मामले को विसंगति नहीं माना जा सकता है अत: यह मामला राष्ट्रीय विसंगति कमिटि(NAC)के कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। अगर मिडिया रिपोर्टों पर विश्वास करें तो केन्द्र सरकार 7वीं वेतन आयोग की सिफारिशों से परे नये वेतन संरचना पर विचार करने के लिए एक हाई लेवल कमिटि का गठन कर सकती है।
करीब 1 करोड़ कर्मचारियों एवं पेन्शनधारियों के लिए 7वीं वेतन आयोग की सिफारिशों से इतर वेतन वृद्धि हेतु गठित होने वाली हाई लेवल कमिटि छह महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इस कमिटि के सदस्य गृह, रक्षा, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, पेन्शन, राजस्व, व्यय, पोस्ट, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के सचिव, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष तथा उपमहालेखापरीक्षक होंगे। हालांकि अभी तक इस आशय की कोई घोषणा सरकार द्वारा नहीं की गई है।
केन्द्रीय कर्मियों के यूनियनों ने ऐसी चेतावनी दी है कि अगर केन्द्र सरकार ने 7वें वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन एवं फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि नहीं की तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
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